गणित का सूत्र बताइए?

इस लेख में, हम गणित के सूत्रों का हिंदी में विवरण कर रहे हैं। ये सूत्र विभिन्न प्रश्नों के समाधान में मददगार साबित हो सकते हैं। ये सूत्र प्रतियोगी परीक्षाओं और बोर्ड परीक्षाओं में उपयोगी हो सकते हैं। गणित सूत्रों का ज्ञान अध्ययनकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण है। इन सूत्रों का सही रूप से अध्ययन करना शिक्षार्थियों को अच्छे अंक प्राप्त करने में मदद कर सकता है।

गणित एक अत्यंत महत्वपूर्ण और अनिवार्य विद्याया है जो संख्याओं, मात्राओं, संरेखणों और उनके आपसी संबंधों का अध्ययन करता है। यह विज्ञान न तो सिर्फ व्यक्तिगत जीवन में उपयोगी है, बल्कि विज्ञान, इंजीनियरिंग, विपणन, और अन्य क्षेत्रों में भी अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गणित का उद्देश्य संख्यात्मक और तात्कालिक समस्याओं का समाधान करना है, जो विज्ञान, उद्योग और समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

Mathematics Formula in Hindi – गणित के महत्वपूर्ण सूत्र

गणित के अध्ययन में विभिन्न शाखाएँ होती हैं, जैसे रेखागणित, अंक गणित, त्रिकोणमिति, बीजगणित, और अनुक्रमणिका आदि। यह शिक्षा विद्यार्थियों को तार्किक चिंतन, समस्या समाधान और विश्लेषण की क्षमता विकसित करती है, जो उन्हें अन्य जीवन क्षेत्रों में भी सफल बनाने में मदद करता है। इसके अलावा, गणित एक रोचक और उत्साहीन क्षेत्र भी है, जो छात्रों को नई चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित करता है।

  • इस पाठ में आपको ब्याज के सूत्रों का विवरण मिलेगा।
  • बहुभुज गुणन सूत्र का समझना आवश्यक है ताकि बहुभुज के क्षेत्र की गणना की जा सके।
  • द्विघात समीकरण सूत्र से द्विघात समीकरणों को हल करने का तरीका सीख सकते हैं।
  • त्रिकोणमिति के तरीकों का अध्ययन करके त्रिकोणों के गुणन की समझ को मजबूत करें।
  • बीजगणित, ल.स.प., म.स.प., लाभ, हानि, छूट, क्षेत्रमिति, संख्या प्रणाली आदि के सूत्रों का मास्टर होना शैक्षिक मार्ग में महत्वपूर्ण है।

बहुभुज से संबंधित सूत्र

  • ‘n’ भुजाओं वाले बहुभुज का बाह्य कोण = 360°
  • ‘n’ भुजाओं वाले बहुभुज का आंतरिक कोण = (n-2) × 180°
  • ‘n’ भुजाओं वाले बहुभुज के बाह्य कोणों का योग = 360°
  • ‘n’ भुजाओं वाले बहुभुज में विकर्णों की संख्या = n(n-3)/2
  • ‘n’ भुजाओं वाले बहुभुज के आंतरिक कोणों का योग = (n-2) × 180°
  • बहुभुज के कोणों का योगफल होता है 360°।
  • आंतरिक कोण का योगफल (n-2) × 180° होता है।
  • विकर्णों की संख्या बहुभुज में n(n-3)/2 होती है।
  • बहुभुज के प्रत्येक विकर्ण का योगफल 180° होता है।
  • बहुभुज के प्रत्येक भुज के एक आंतरिक कोण n-2 कोनों का योगफल होता है।
  • बहुभुज के प्रत्येक भुज के द्वारा बनाए गए आंतरिक कोणों का योगफल (n-2) × 180° होता है।
  • विकर्ण वाले बहुभुज में विकर्णों की संख्या n(n-3)/2 होती है।
  • बहुभुज के कोणों का योगफल सदैव 360° रहता है।
  • आंतरिक कोणों का योगफल बहुभुज के भुजों की संख्या से (n-2) × 180° गुणा किया जाता है।
  • बहुभुज के आंतरिक कोणों का योगफल उनके भुजों के संख्या को (n-2) से घटाकर 180° गुणा किया जाता है।

बीजगणित से संबंधित सूत्र

समीपवर्ती गुणनीय: दो संख्याओं का गुणनफल उनके योगफल के बराबर होता है।

विलोम आंकड़ा: एक संख्या का विलोम उसके उल्टे अंकों का योगफल होता है।

वर्गमूल: किसी संख्या के वर्गमूल को उस संख्या से प्राप्त किया जाता है।

घातांक: एक संख्या के घात का मान वह संख्या होता है जिसे घातित किया जाता है।

व्यास: एक वृत्त की केंद्र से उसके परिधि तक की दूरी को व्यास कहते हैं।

वृत्त क्षेत्रफल: परिधि के आधार पर एक वृत्त के क्षेत्रफल को प्राप्त किया जाता है।

समीकरण: दो व्यंगचिह्नों के बीच समानता को समीकरण कहते हैं।

द्विघात समीकरण: एक समीकरण में व्यंगचिह्न की गुणांकण शक्ति दो से अधिक होती है।

व्यास्तिक समीकरण: व्यंगचिह्न की गुणांकण शक्ति एक होती है और समीकरण में कोई व्यंगचिह्न नहीं होता।

संवर्गमूल: एक संख्या का संवर्गमूल वह संख्या होता है जिसका वर्ग दी गई संख्या के बराबर हो।

अनुपात: दो वास्तविक संख्याओं के बीच उनके समानुपात को अनुपात कहते हैं।

बराबरिता: दो व्यंगचिह्नों के बीच समानता को बराबरिता कहते हैं।

वार्ग: एक संख्या का वार्ग उस संख्या के वर्गमूल के बराबर होता है।

सांख्यिकीय माध्यम: एक वर्गमूल की मानोवैदिक रूपांतरण की प्रक्रिया को सांख्यिकीय माध्यम कहते हैं।

सारणिक रेखा: एक त्रिभुज में तीनों कोणों के शीर्षों को जड़ने वाली रेखा को सारणिक रेखा कहते हैं।

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बीजगणित के सूत्र

  • a² + b² = (a + b)² – 2ab = (a – b)² + 2ab – यहां a और b के बीच योगफल का संबंध दिखाता है।
  • a² – b² = (a + b) (a – b) – इसमें व्यक्तिगत संख्याओं के बीच विभिन्न करने का सूत्र है।
  • a³ + b³ = (a + b) (a² + b² – ab) – इस समीकरण में क्यूब के रूप में योगफल की व्यापक व्यक्ति होती है।
  • a³ – b³ = (a – b) (a² + b² + ab) – यह क्यूब के अंतर का सूत्र है।
  • (a + b)² = a² + b² + 2ab – यह वर्गफल का सूत्र है।
  • (a + b + c)² = a² + b² + c² + 2 (ab + bc + ca) – त्रिपुष्ट योगफल का सम्बंध इससे प्रकट होता है।
  • (a-b)² = a² + b² – 2ab – यह वर्गफल का संबंध दिखाता है।
  • (a – b – c)² = a² + b² + c² – 2 (ab – bc + ca) – तीन संख्याओं के बीच समयोजन का सम्बंध होता है।
  • (a + b)³ = a³ + b³ + 3ab (a + b) – तीन संख्याओं के क्यूब का योगफल यहां दिखाता है।
  • (a – b)³ = a³ – b³ – 3ab (a – b) – तीन संख्याओं के क्यूब का विभिन्न करने का सूत्र होता है।
  • a³ + b³ + c³ = 3abc अगर a + b + c = 0 – अगर तीनों संख्याओं का योग सूना हो, तो यह सम्बंध दिखाता है।
  • a³ + b³ + c³ – 3abc = 1/2 (a + b + c) [(a – b)² + (b – c)² + (c – a)²] – इस समीकरण में तीनों संख्याओं के बीच व्यापक संबंध दिखाता है।

संख्या प्रणाली से संबंधित सूत्र

  • भाज्य श्रेणी का योग = n(n+1)/2
  • वर्गों का योग = n(n+1)(2n+1)/6
  • क्यूबों का योग = n²(n+1)²/4
  • घातों का योग = n(n+1)/2
  • भाज्य श्रेणी का योग = n(n+1)/2
  • वर्गों का योग = n(n+1)(2n+1)/6
  • क्यूबों का योग = n²(n+1)²/4
  • घातों का योग = n(n+1)/2

विभाजन के नियम

  • अंतिम अंक 0,2,4,6,8 हो, तो संख्या 2 से विभाजित होगी।
  • सभी अंकों का योग 3 से विभाजित हो, तो संख्या 3 से विभाजित होगी।
  • अंतिम दो अंक 4 से विभाजित हो, तो संख्या 4 से विभाजित होगी।
  • अंतिम अंक 0,5 हो, तो संख्या 5 से विभाजित होगी।
  • 2 और 3 दोनों से विभाजित हो, तो संख्या 6 से विभाजित होगी।
  • अंतिम अंक के दो गुणा को बाकी संख्या से घटाने पर प्राप्त संख्या 7 से विभाजित होगी।
  • अंतिम तीन अंक 8 से विभाजित हो, तो संख्या 8 से विभाजित होगी।
  • सभी अंकों का योग 9 से विभाजित हो, तो संख्या 9 से विभाजित होगी।
  • अंतिम अंक 0 हो, तो संख्या 10 से विभाजित होगी।
  • अंतिम अंक 2,4,6,8 में से एक हो, तो संख्या 2 से विभाजित होगी।
  • अंत के अंक 3,6,9 में से एक हो, तो संख्या 3 से विभाजित होगी।
  • अंतिम दो अंक 4,8 में से एक हो, तो संख्या 4 से विभाजित होगी।
  • अंतिम अंक 0,5 में से एक हो, तो संख्या 5 से विभाजित होगी।
  • 2 और 3 दोनों से विभाजित हो, तो संख्या 6 से विभाजित होगी।
  • अंतिम दो अंक का गुणनखंड बाकी संख्या से छोड़ दिया जाता है, तो संख्या 7 से विभाजित होगी।

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क्षेत्रमिति से संबंधित सूत्र

घन से संबंधित सूत्र

  • घन का विकर्ण = √3 × भुजा
  • घन का आयतन = (भुजा) ³
  • घन का कुल पृष्ठ क्षेत्रफल = 6 × (भुजा) ²

बेलन से संबंधित सूत्र

  • बेलन का आयतन = π × (त्रिज्या)² × ऊंचाई
  • बेलन का संपूर्ण पृष्ठ क्षेत्रफल = 2π × त्रिज्या × (त्रिज्या + ऊंचाई)
  • बेलन का वक्र पृष्ठ क्षेत्रफल = 2π × त्रिज्या × ऊंचाई

चतुर्भुज से संबंधित सूत्र

  • सम चतुर्भुज का क्षेत्रफल = 1/2 × पहला विकर्ण × दूसरा विकर्ण
  • समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल = आधार × ऊंचाई
  • समलम्ब चतुर्भुज का क्षेत्रफल = 1/2 × समांतर भुजाओं का योग × समान्तर भुजाओं के बीच की दूरी

शंकु से संबंधित सूत्र

  • शंकु का आयतन = (1/3) × π × (त्रिज्या)² × ऊंचाई
  • शंकु का संपूर्ण पृष्ठ क्षेत्रफल = π × त्रिज्या × (त्रिज्या + तिर्यक ऊंचाई)
  • शंकु का वक्र पृष्ठ क्षेत्रफल = π × त्रिज्या × तिर्यक ऊंचाई

गोले से संबंधित सूत्र

  • गोले का आयतन = (4/3) × π × (त्रिज्या)³
  • अर्धगोले का संपूर्ण पृष्ठ क्षेत्रफल = 3π × (त्रिज्या)²
  • गोले का वक्रपृष्ठ क्षेत्रफल = 4π × (त्रिज्या)²

ब्याज से संबंधित सूत्र

  1. साधारण ब्याज की गणना: मूलधन × दर × समय / 100
  2. साधारण मिश्रधन: मूलधन × (100 + दर × समय) / 100
  3. चक्रवृद्धि ब्याज की सूत्र: मूलधन × [(1 + दर / 100)^n – 1]
  4. चक्रवृद्धि मिश्रधन: मूलधन × (1 + दर / 100)^n
  • साधारण ब्याज में मूलधन, दर, और समय का प्रभाव होता है।
  • साधारण मिश्रधन में विनिवेशकर्ता का मूलधन सहायक होता है।
  • चक्रवृद्धि ब्याज में समय के अनुसार लाभ बढ़ता है।
  • चक्रवृद्धि मिश्रधन में निवेशक की निवेश राशि बढ़ती है।
  • साधारण ब्याज समय के साथ बढ़ता है या घटता है।
  • साधारण मिश्रधन में निवेशक की लाभ राशि बढ़ती है।
  • चक्रवृद्धि ब्याज समय के साथ उत्तेजना में वृद्धि करता है।
  • चक्रवृद्धि मिश्रधन समय के साथ निवेशक की लाभ राशि बढ़ता है।
  • ब्याज और मिश्रधन के रूपों में विभिन्न गणना तरीके होते हैं।
  • निवेशक विनिवेशकर्ता के अनुसार उपयुक्त ब्याज और मिश्रधन चयन करते हैं।
  • निवेशकों को विभिन्न वित्तीय उपायों के बीच चयन करने की स्वतंत्रता होती है।

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संख्याओं का वर्ग और घन

1²=116²=25631²=9611³=1
2²=417²=28932²=10242³=8
3²=918²=32433²=10893³=27
4²=1619²=36134²=11564³=64
5²=2520²=40035²=12255³=125
6²=3621²=44136²=12966³=216
7²=4922²=48437²=13697³=343
8²=6423²=52938²=14448³=512
9²=8124²=57639²=15219³=729
10²=10025²=62540²=160010³=1000
11²=12126²=67641²=168111³=1331
12²=14427²=72942²=176412³=1728
13²=16928²=78443²=184913³=2197
14²=19629²=84144²=193614³=2744
15²=22530²=90045²=202515³=3375

त्रिकोणमिति से संबंधित सूत्र

Sin²A+Cos²A = 1
Sec²A-Tan²A = 1
Cosec²A-Cot²A = 1

SinA = 1/CosecA
CosA = 1/SecA
TanA = 1/CotA = SinA/CosA

Sin2A = 2.SinA.CosA
Cos2A = Cos²A-Sin²A = 1-2Sin²A =2Cos²A-1
Tan2A = 2TanA/1-Tan²A

Sin3A = 3SinA-4Sin³A
Cos3A = 4Cos³A-3CosA
Tan3A = 3TanA-Tan³A/1-3Tan²A

2.SinA.CosB = Sin(A+B)+Sin(A-B)
2.CosA.SinB = Sin(A+B)–Sin(A-B)
2.CosA.CosB = Cos(A+B)+Cos(A-B)
2.SinA.SinB = Cos(A-B)–Cos(A+B)

Sin(A+B) = SinA.CosB+CosA.SinB
Sin(A-B) = SinA.CosB–CosA.SinB
Cos(A+B) = CosA.CosB–SinA.SinB
Cos(A-B) = CosA.CosB+SinA.SinB
Tan(A+B) = TanA+TanB/1-TanA.TanB
Tan(A-B) = TanA-TanB/1+TanA.TanB

SinA+SinB = 2.Sin (A+B)/2 Cos(A-B)/2
SinA-SinB = 2.Cos(A+B)/2 Sin(A-B)2
CosA+CosB = 2.Cos(A+B)2 Cos(A-B)2
CosA-CosB = 2.Sin(A+B)2 Sin(B-A)2

Sin²A-Sin²B = Cos²B-Cos²A = Sin(A+B).Sin(A-B)
Cos²A-Sin²B = Cos²B-Sin²A = Cos(A+B).Cos(A-B)

Formula Table

Angles30°45°60°90°
Sin01/21/√2√3/21
Cos1√3/21/√21/20
Tan01/√31√3(∞)
Cot(∞)√311/√30
Sec12/√3√22(∞)
Cosec(∞)2√22/√31

Formula Table

Sin (90°-θ)
= Cosθ
Cos (90°-θ)
= Sinθ
Tan (90°-θ)
= Cotθ
Cot (90°-θ)
= Tanθ
Sec (90°-θ)
= Cosecθ
Cosec (90°-θ)
= Secθ
Sin (90°+θ)
= Cosθ
Cos (90°+θ)
= -Sinθ
Tan (90°+θ)
= -Cotθ
Cot (90°+θ)
= -Tanθ
Sec (90°+θ)
= -Cosecθ
Cosec (90°+θ)
= Secθ
Sin (180°-θ)
= Cosθ
Cos (180°-θ)
= -Sinθ
Tan (180°-θ)
= -Cotθ
Cot (180°-θ)
= -Tanθ
Sec (180°-θ)
= -Cosecθ
Cosec (180°-θ)
= Secθ
Sin (180°+θ)
= -Cosθ
Cos (180°+θ)
= -Sinθ
Tan (180°+θ)
= Cotθ
Cot (180°+θ)
= Tanθ
Sec (180°+θ)
= -Cosecθ
Cosec (180°+θ)
= -Secθ
Sin (270°-θ)
= -Cosθ
Cos (270°-θ)
= -Sinθ
Tan (270°-θ)
= Cotθ
Cot (270°-θ)
= Tanθ
Sec (270°-θ)
= -Cosecθ
Cosec (270°-θ)
= -Secθ
Sin (270°+θ)
= -Cosθ
Cos (270°+θ)
= Sinθ
Tan (270°+θ)
= -Cotθ
Cot (270°+θ)
= -Tanθ
Sec (270°+θ)
= Cosecθ
Cosec (270°+θ)
= -Secθ
Sin (360°-θ)
= -Cosθ
Cos (360°-θ)
= Sinθ
Tan (360°-θ)
= -Cotθ
Cot (360°-θ)
= -Tanθ
Sec (360°-θ)
= Cosecθ
Cosec (360°-θ)
= -Secθ
Sin (360°+θ)
= Cosθ
Cos (360°+θ)
= Sinθ
Tan (360°+θ)
= Cotθ
Cot (360°+θ)
= Tanθ
Sec (360°+θ)
= Cosecθ
Cosec (360°+θ)
= Secθ

ल.स.प. और म.स.प. से संबंधित सूत्र

ल.स.प. × म.स.प. = पहली संख्या × दूसरी संख्या
भिन्न का ल.स.प. = अंश का ल.स.प./हर का म.स.प.
भिन्न का म.स.प. = अंश का म.स.प./हर का ल.स.प.

लाभ, हानि और छूट से संबंधित सूत्र

लाभ = विक्रय मूल्य – क्रय मूल्य

हानि = क्रय मूल्य – विक्रय मूल्य

छूट = अंकित मूल्य – विक्रय मूल्य

लाभ (%) = लाभ × 100/क्रय मूल्य

हानि (%) = हानि × 100/क्रय मूल्य

छूट (%) = छूट × 100/अंकित मूल्य

क्रय मूल्य = विक्रय मूल्य × 100/100 + लाभ (%)

क्रय मूल्य = विक्रय मूल्य × 100/100 – हानि (%)

अंकित मूल्य = विक्रय मूल्य × 100/100 – छूट (%)

Wasim Akram

वसीम अकरम WTechni के मुख्य लेखक और संस्थापक हैं. इन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है लेकिन इन्हें ब्लॉगिंग और कैरियर एवं जॉब से जुड़े लेख लिखना काफी पसंद है.

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