आजकल जब जब लोग बैंक अकाउंट खुलवाने के लिए बैंक जाते हैं तो पहले से ही बोल देते हैं की ममुझे एटीएम कार्ड के साथ नेट बैंकिंग की सेवा भी चाहिए ऐसा इसीलिए क्यों की उन्हें अच्छे से मालूम होता है की इंटरनेट बैंकिंग क्या है (What is internet banking in hindi) और इससे क्या फायदे हैं? बैंक से लोगों को अक्सर कई तरह के काम होते हैं. जिसके लिए उन्हें कई बार बैंक के चक्कर काटने पड़ते हैं और लम्बी लम्बी लाइन में घंटों खड़ा भी रहना पड़ता है. लेकिन आज के युवा लम्बी लाइन में खड़ा नहीं होना चाहते हैं और ये चाहते हैं की सारा काम जो हम बैंक जाकर करते हैं वो घर बैठे हो जाये. यही वजह है की अब सभी लोग इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल करने लगे हैं. भले ही सारा का सारा काम इंटरनेट बैंकिंग से नहीं हो पाता लेकिन बहुत सारे जरुरी काम जिसके लिए लाइन में खड़ा रहना पड़ता है वो घर बैठे मिनटों में इसकी सहायता से पूरी की जाती है. इंटरनेट बैंकिंग के फायदे क्या है (Advantages of E banking in Hindi) यह भी हम इस पोस्ट में आगे जानेंगे.
भारत को विकसित देश बनाने के लिए यहाँ की सरकार काफी ज़ोरो शोरो से लगी हुई है. इसके लिए शहरों से लेकर हर छोटे बड़े गाँवों तक लोगों को बैंक अकाउंट खोलने के लिए जागरूक किया जा रहा है. ताकि हर इंसान कैश की जगह पैसों को डिजिटल तरीके से इस्तेमाल कर सके. इससे लोगों को बैंक में जाकर लम्बी लाइन नहीं लगानी पड़ती, जिस काम को करने के लिए घंटों इंतज़ार करना पड़ता है और बैंक के चक्कर काटने पड़ते हैं उनसे छुटकारा मिल जाती है यानि बैंक से जुड़े लगभग कई रोज़मर्रा वाले काम को हम नेट बैंकिंग इ सहायता से ही घर बैठे ही पूरा कर सकते हैं. जब भी कभी आपको अपने रिश्तेदार या दोस्त को पैसे भेजने होते हैं तो फिर आपको बैंक में जाना ही पड़ता है या फिर किसी को बोलकर पैसे भेज देते होंगे लेकिन अगर आप के पास इंटरनेट बैंकिंग की सेवा होगी तो फिर आपको न तो बैंक पर निर्भर रहना होगा और नहीं किसी दुसरे को बोलना पड़ेगा. आप खुद घर बैठे अपने मोबाइल या कंप्यूटर से इंटरनेट बैंकिंग की मदद से किसी को भी पैसे भेज सकते हैं. लेकिन इंटरनेट बैंकिंग से पैसे कैसे भेजते हैं और ये कैसे काम करता इसके बारे में हम आगे चर्चा करेंगे लेकिन इसके पहले हम ये जान लेते हैं की इंटरनेट बैंकिंग क्या होता है (What is internet banking in hindi).
इंटरनेट बैंकिंग क्या है – What is internet banking in hindi
विषय - सूची
इंटरनेट बैंकिंग एक यूजर को इंटरनेट के माध्यम वित्तीय लेन देन करने की सुविधा देता है. इन्टरनेट बैंकिंग को ही ऑनलाइन बैंकिंग या वेबबैंकिंग भी कहते हैं. इसकी मदद से वो सारे काम जिसे करने के लिए बैंक, शौपिंग मॉल, बिजली विभाग, के चक्कर काटने पड़ते थे सभी को घर बैठे ही बहुत ही आसानी से अपने smartphone या कंप्यूटर से पूरा कर सकते हैं. बिजली का बिल चुकाना एक बहुत बड़ा सर दर्द वाला काम होता है जिसे हम ऑनलाइन ही घर बैठे बहुत ही आसानी से पूरा कर सकते हैं. साथ ही मोबाइल रिचार्ज या शौपिंग करना उसे भी हम घर से ही कर लेते हैं. किसी रिश्तेदार को पैसे भेजने हो तो उसके लिए भी बैंक जाने की कोई जरुरत नहीं है.
ऑनलाइन बैंकिंग में उपभोक्ताओं को अपने बेसिक बैंकिंग लेनदेन को पूरा करने के लिए की में जाने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं पड़ती है. यानी कि वे अपने तरह के कामों को घर में रहकर, काम पर या फिर यात्रा करते हैं वह भी पूरा कर सकते हैं. इस सेवा का इस्तेमाल करने के लिए उपभोक्ता को बैंक में जाकर ऑनलाइन बैंकिंग की सेवा को शुरू करने के लिए आवेदन करना पड़ता है इसके बाद बैंक के द्वारा ऑनलाइन बैंकिंग शुरू कर दी जाती है.पंजीकरण करने के बाद बैंक अपने ग्राहक को एक यूजर आईडी और पासवर्ड देती है जिसका इस्तेमाल करके भक्ता कहीं से भी अपने अकाउंट को एक्सेस कर सकता है और इस में दी जाने वाली सुविधाओं का इस्तेमाल भी कर सकता है.
अलग-अलग बैंकों द्वारा ऑनलाइन बैंकिंग में अलग अलग तरह की सुविधाएं भी दी जाती है लेकिन जो बुनियादी सेवाएं हैं जैसे कि पैसे ट्रांसफर करना और बिल का पेमेंट करना यह सभी में होता है. बैंक तो अपने यूको ऑनलाइन ही नहीं खाता खोलने और क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करने की भी सुविधा देती है. कई ऐसे बैंक भी होते हैं जो ऑर्डर करने पर भुगतान को रोकने ऐड्रेस को चेंज करने की भी सुविधा देते हैं.चेक तो अब एक मोबाइल ऐप के जरिए ऑनलाइन जमा किए जा सकते हैं ग्राहक को केवल अपनी चेक के सामने और पीछे की फोटो लेनी होती है उसके बाद अमाउंट भरना होता है और फिर यह प्रक्रिया पूरी हो जाती है. नेट बैंकिंग में ट्रैवलर का चेक, बैंक ड्राफ्ट और कुछ वायर ट्रांसफर करने की सुविधा नहीं दी जाती है इन सेवाओं को पूरा करने के लिए बैंक रिप्रेजेंटेटिव का सामने होना जरूरी है.
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इंटरनेट बैंकिंग कैसे काम करता है?
जैसा कि हम पहले ही जानते हैं कि इंटरनेट बैंकिंग को E-banking भी बोला जाता है इसमें 3 पक्ष शामिल होते हैं – बैंक, कंजूमर और मर्चेंट. कुछ ऐसे भी स्थिति होती है जिस बैंक और कंज्यूमर मिलकर ही ट्रांजैक्शन को पूरा कर लेते हैं कंज्यूमर जो होता है वह ट्रांजैक्शन को शुरू करता है इसके लिए वह या तो ऑनलाइन या फिर एटीएम ट्रांजैक्शन को करता है जिसके बाद या तो रिक्वेस्ट को अप्रूव किया जाता है या रिजेक्ट कर दिया जाता है जो कि उसके एटीएम कार्ड और उसके डीटेल्स पर निर्भर करता है. जब प्रोसेस पूरा हो जाता है तो फंड जो होता है झूमर से दूसरे कंजूमर के अकाउंट तक पहुंच जाता है.
ऑनलाइन बैंकिंग का इस्तेमाल करने के लिए पहले तो को अपने बैंक की शाखा में जाकर आवेदन करना होता है जिसके बाद उसे यूजर आईडी और पासवर्ड दिया जाता है. ऑनलाइन बैंकिंग के आवेदन के समय ही होगा ई रजिस्ट्रेशन की जाती है जो एक तरह से अकाउंट को सुरक्षा प्रदान करते हैं. जब भी कंस्यूमर चल को शुरू करता है से पूरा करने के लिए ओटीपी नंबर और कार्ड नंबर ही मांगा जाता है यह अलग-अलग बैंकों में अलग अलग तरीके से सुरक्षा दी जाती है वेरीफिकेशन पूरा हो जाने के बाद ही ट्रांजैक्शन को पूरा किया जा सकता है.
सिर्फ यूजर आईडी और पासवर्ड जान लेने से भी ट्रांजैक्शन को सफलतापूर्वक पूरा नहीं किया जा सकता है मोबाइल नंबर आने वाला ओटीपी अकाउंट को काफी सुरक्षा देती है.
ये एक ऐसी फीचर है जो हमे बैंक अकाउंट के साथ में मिलती है और इसके द्वारा हम अपने अकाउंट में इस तरह से एक्सेस कर सकते हैं
1. एक कंप्यूटर जिससे कि हम वेबसाइट के माध्यम से बैंक अकाउंट में जा सकते हैं.
2. एक फोन जिसके द्वारा हम वेबसाइट और ऐप को खोल सकते हैं.
3. एक टेबलेट वेबसाइट और बैंक के एप दोनों को ओपन कर सकते हैं.
नेट बैंकिंग कैसे चालू करें?
इसके लिए सबसे पहले आपको उस बैंक की शाखा में जाना होगा जहाँ पर आपका अकाउंट है और आपको पूछना होगा की क्या वो ऑनलाइन बैंकिंग की सुविधा देते हैं. या फिर क्या वो प्रक्रिया बता सकते हैं जिससे आप इस सेवा को शुरू कर सकते हैं. अगर आपका बैंक वो सविधाएँ नहीं देता तो आप बेहतर विकल्प की तलाश कर सकते हैं. इसे दो तरीके से शुरू किया जा सकता है आपको जब ये पता चल जाये की आपके बैंक में इस सुविधा को लिया जा सकता है तो आपको एक रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरना होगा और साथ ही OTP के लिए अपना मोबाइल नंबर भी देना होगा जिसके प्रोसेस होने के बाद आपको पोस्ट यूजर आईडी और पासवर्ड दिया जाता है.
इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल करने के लिए इन डिटेल्स की जरुरत पड़ती है.
- आपका यूजरनाम या कस्टमर नंबर
- पासवर्ड
- अतिरिक्त जानकारी जैसे जन्मस्थान या जन्मतिथि
इन जानकारी को हासिल करने के बाद इसे अपने सीक्रेट और सुरक्षित स्थान में दर्ज कर के रखें। डेबिट कार्ड या पासबुक में इन जानकारी को न लिखें. जब भी आप पाने अकाउंट को लॉगिन करने जायेंगे तो आपको आईडी इत्यादि की जरुरत पड़ेगी.
एक दूसरा तरीका ऐसा है जो सभी बैंकों में नहीं मिलता है. इस में आप को बैंक के ऑफिसियल वेबसाइट में जाना होगा और ऑनलाइन बैंकिंग के पेज में जाकर पूछी गई जानकारी देनी होगी जिसके बाद आपको डिटेल्स भेज दिया जायेगा और इस तरह आपका अकाउंट रजिस्टर हो जायेगा जिसके बाद आप नेट बैंकिंग का इस्तेमाल कर सकेंगे.
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इन्टरनेट बैंकिंग का इतिहास
वर्ल्ड वाइड वेब के साथ ही साथ इंटरनेट बैंकिंग भी वजूद में आया और उसी के विकास के साथ इसका भी विकास हुआ है.
बैंकिंग डाटा बेस पर करने वाले प्रोग्रामर ने 1980 के दशक के दौरान कुछ समय के लिए ऑनलाइन बैंकिंग के जरिए लेन-देन अपने के विचार के साथ में आए. ऑनलाइन शॉपिंग की वजह से जो ऑनलाइन बैंकिंग की सेवा की अवधारणा थी वह बंद हो गई. शॉपिंग कंपनियों ने इंटरनेट के माध्यम से क्रेडिट कार्ड के होने वाले इस्तेमाल को बढ़ा दिया. कई बैंकों ने अपने यहां काम करने वाले कर्मचारियों को कम करने के लिए डाटा वेयरहाउसिंग गांव का निर्माण करना शुरू कर दिया. एटीएम के विकास के दौरान इन डेटाबेस बहुत ही विशाल रूप से किया गया.
1980 के दौर में यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में जैसे संगठनों ने होम बैंकिंग की सुविधा पर विचार किया और इसके ऊपर काम करना शुरू कर दिया. शुरुआत में इंटरनेट इतनी अच्छी तरह से विकसित नहीं थे बैंकिंग ने बड़े पैमाने पर ग्राहकों को आकर्षित किया. फैक्स मशीन और टेलीफोन का उपयोग किया गया.
1983 में नॉटिंघम बिल्डिंग सोसायटी आमतौर पर एलबीएस के रूप में एटीट्यूड में पहली बार इंटरनेट बैंकिंग सेवा शुरू की गई. इस सेवा ने अधिकतर इंटरनेट बैंकिंग सुविधाओं के लिए आधार का निर्माण किया. जिसके बाद यह सेवा पूर्ण तरीके से शुरू हो गई. उस वक्त यह सेवा अच्छे तरीके से विकसित नहीं थी और खाताधारकों द्वारा किया जाने वाला लेनदेन एक निश्चित सीमा के तहत की जाती थी.
नॉटिंघम बिल्डिंग सोसायटी द्वारा शुरू की गई सुविधा के बारे में कहा जाता है कि इसे प्रिस्टल नामक प्रणाली से प्राप्त किया गया था. जिसे यूनाइटेड किंगडम के डाक सेवा विभाग द्वारा तैनात किया गया था.
अक्टूबर 1994 में पहली बार ऑनलाइन बैंकिंग सेवा शुरू की गई. इस सेवा को स्टैनफोर्ड फेडरल क्रेडिट यूनियन द्वारा विकसित किया गया था फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन था. अच्छे डेवलप्ड सिस्टम की वजह से ऑनलाइन बैंकिंग की सेवा और ज्यादा एक्यूरेट होती जा रही है. वैसे तो इसमें भी कुछ बुराइयां है लेकिन फिर भी यह बैंकिंग क्षेत्र में एक क्रांति की तरह बनकर उभरा है.
इन्टरनेट बैंकिंग के फायदे – Advantages of E banking in Hindi
हम अपने इंटरनेट ब्राउज़र की मदद से अपने बैंक के अकाउंट में साइन इन कर सकते हैं इसके बाद हम निम्नलिखित काम कर सकते हैं
बैलेंस चेक करने के लिए : हम अपने बैलेंस चेक कर सकते हैं जिससे कि हमें कि हमारे अकाउंट में कितना पैसा है.
ट्रांसक्शन और स्टेटमेंट चेक करने के लिए: हम स्टेटमेंट या ट्रांजैक्शन देख सकते हैं जिससे हम किसी तरह की दीदी को भी जान सकते हैं कौन सा ट्रांजैक्शन हमने किया है और कौन सा नहीं.
पैसे भेजने के लिए: हम अपने दोस्त या फिर परिवार के सदस्य के बैंक अकाउंट में इस सेवा मदद से पैसे भेज सकते हैं.
बिल चुकाने के लिए: हम सभी ये अच्छे से जानते हैं की किसी भी प्रकार का बिल हो उसे समय पर चुकाना कितना जरुरी होता है. इसके लिए हम बिल पेमेंट करने के संसथान में जाना होता है लेकिन ऑनलाइन बैंकिंग हमे इस परेशानी से बचाता है और हमे घर बैठे बिल चुकाने की भी सुविधा देता है.
डायरेक्ट डेबिट और स्टैंडिंग ऑर्डर्स: रेगुलर पेमेंट करने में ये काफी मदद करता है और एक निश्चित तारीख में पैसे अपने आप डेबिट हो जाते हैं.
सिक्योर मैसेज सेंड और रिसीव करें: आप अपने बैंक से सिक्योर मैसेज सेंड और रिसीव कर सकते हैं.
फ्री सेवा: ये सेवा बिलकुल फ्री होती है. लगभग सभी बैंकों द्वारा इस सेवा को फ्री में इस्तेमाल करने के लिए दिया जाता है.
संक्षेप में
दोस्तों आपको ये पोस्ट इंटरनेट बैंकिंग क्या है (What is internet banking in hindi) और इससे क्या फायदे हैं कैसी लगी? उम्मीद करते हैं की आपको इस पोस्ट के माध्यम से आपके द्वारा तलाश की जा रही जरुरी जानकारी मिल गयी होगी और फिर भी अगर आपको कुछ और जानना है तो आप कमेंट कर के पूछ सकते हैं. इस पोस्ट के माध्यम से आपने ये भी जाना की नेट बैंकिंग कैसे चालू करें और इसका इतिहास क्या है? इसके अलावा आपने यह भी जाना कि इंटरनेट बैंकिंग के फायदे क्या है (Advantages of E banking in Hindi)आजकल के युवा बिना इसके बैंक अकाउंट खुलवाना पसंद नहीं करते हैं. कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्हे इंटरनेट बैंकिंग से काफी डर लगता है उनके मन में कई तरह के सवाल होते हैं इसीलिए वो इससे दूर भागते हैं.
दुनिया तेज़ी से बदलता जा रहा है लोगों ने समय के साथ अपने जीवन शैली में भी बदलाव किया है. जो आज समय के साथ नहीं बदलता तो वो पीछे ही रह जाता है. ऐसा इसीलिए की जो आज नेट बैंकिंग का इस्तेमाल करता है उसे बैंक जाने के बारे में सोचना तक नहीं पड़ता जबकि दूसरा इंसान जो इस सेवा कटा उसे घंटों बैंक में उसी काम को पूरा करने के लिए बिताना पड़ता है. हम उम्मीद करते हैं की आपको ये पोस्ट काफी लाभदायक लगा होगा और अगर इस पोस्ट से आपको मदद मिली हो तो इसे अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ जरू शेयर करें.
gopal says
thank your sir for sharing this helpful article with us
Francis Junior says
Hi Wasim,
Your article is very nice i translated it with translator