ग्लोबल वार्मिंग क्या है और इसके कारण?

मनुष्यों की गतिविधियों के कारण शुरुआती औद्योगिक काल के बाद से आज भी पृथ्वी के क्लाइमेट सिस्टम का लगातार गर्म होना ही ग्लोबल वार्मिंग है. मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन जलने से, जो पृथ्वी के वायुमंडल में गर्मी-रोक कर रखने वाले ग्रीनहाउस गैस के स्तर को बढ़ाता है.

हम अक्सर आजकल जगह जगह देखते हैं हैं की सरकार वृक्षारोपण  (tree plantation) के कार्यक्रम चलती रहती है ताकि पर्यावरण में हरियाली हो. लेकिन क्या कभी आपने ये जानने की कोशिश की है की पेड़ कम होने से क्या नुक्सान हो रहा है.

ग्लोबल वार्मिंग क्या है (What is Global Warming in Hindi) आज इस पोस्ट के माध्यम से जानेंगे और इसके कारण के बारे में भी हम चर्चा करेंगे. ग्लोबल वार्मिंग को कैसे रोके ताकि इससे बचा जा सके और इसके दुष्परिणाम से वातावरण को कैसे सुरक्षित रखा जा सके इसकी जानकारी भी हम लेंगे.

20-30 साल पहले पृथ्वी में मौसम का बदलाव समय के साथ होता था लेकिन आप ये भी मानेगे की आज ऐसा नहीं है. बरसात का मौसम अब न तो समय से आता है और ना ही समय से बारिश होती है. 

न तो ठन्डे का मौसम और ना ही गर्मी का ही मौसम नियमित रहता है. जहाँ ठंडा कम होती है वहां पर ठण्ड ज्यादा होती है और जहाँ ठंडी ज्यादा पड़ती है वहां ठण्ड कम पड़ती है.

इन सभी के पीछे सिर्फ एक बात है जो सबसे महत्वपूर्ण है वो है पेड़ों का कम होना और इसीलिए हम इस पोस्ट में बात करेंगे की ग्लोबल वार्मिंग के क्या कारण है और इससे होने वाले दुष्परिणाम क्या है. वो कौन से तरीके हैं जिससे ग्लोबल वार्मिंग को रोक सकते हैं ये जानना भी जरुरी है, तो चलिए जानते हैं meaning of global warming in hindi language विस्तार से.

ग्लोबल वार्मिंग का परिचय

global warming kya hai hindi

पृथ्वी लगातार गर्म हो रही है. 1880 से अभी तक हमारी पृथ्वी पर के जमीनी हिस्से और महासागर गर्म होते जा रहे हैं और इसकी गति भी बढ़ती जा रही है.

तो पृथ्वी के इस गर्म होने की प्रक्रिया को ही हम ग्लोबल वर्मिंग बोलते हैं. ग्लोबल वार्मिंग को हम climate change नाम से भी जानते हैं.

Climate change का मतलब है की पृथ्वी के climate (जलवायु) के तापमान में होने वाला बदलाव.

ग्लोबल वार्मिंग की परिभाषा (Definition of Global warmin in Hindi) – ग्रीन हाउस गैस की वजह से पृथ्वी के average surface तापमान में होने वाले बढ़ोतरी को ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं.

जब fossil fuel के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड निकलता है या फिर पेड़ों की कटाई की जाती है तो ग्रीन हाउस प्रभाव पृथ्वी की गर्मी को इससे बाहर जाने नहीं देती और यही पर रह जाती है. जिससे इसका तापमान बढ़ता जाता है.

ग्लोबल वार्मिंग की समस्या मुख्य रूप से atmosphere में बहुत अधिक कार्बन डाइऑक्साइड की वजह से होती है, जो हमारे गृह से heat को बाहर नहीं जाने देती है ये एक चादर की तरह होती है जिससे के अंदर सारी गर्मी फंस कर रह जाती है और पृथ्वी से बाहर नहीं पाती. 

जब हम fossil fuels जैसे तेल, कोयला, प्राकृतिक गैस को जलाते हैं, खेती करने के लिए जंगलों को जला देते हैं, तो इससे बहुत अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न होता है जो एक चादर की परत के जैसे पृथ्वी के सतह को ढक देता है और गर्मी अंदर कैद होकर रह जाती है.

पृथ्वी की climate change नार्मल तरीके से कम  0.3 से 1.7 डिग्री तक और maximum 2.6 से 48 डिग्री तक  बढ़ने की संभावना है. ये reading national science academies of the major industrialized nations के द्वारा रिकॉर्ड की गई है.

आने वाले समय में climate change जगह के अनुसार अलग अलग होगा. इसके बदलाव से समुद्र स्तर बढ़ जायेगा और रेगिस्तान फ़ैल जायेंगे.

ग्लोबल वार्मिंग कारण – Causes of Global warming in Hindi

ग्लोबल वार्मिंग का सबसे बड़ा कारण हम खुद हैं यानि की हम इंसानो ने दुनिया भर में अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए इसे लगातार गर्म किया है.

जीवाश्म ईंधन जलाना – Burning Fossil Fuel

जब हम जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला, गैस को बिजली तैयार करने के  अपनी गाड़ियों को चलाने के लिए जलाते हैं तो हमलोग खुद ही ढेर सारा CO2 बनाते हैं और अपने पर्यावरण में फैला देते हैं.

दुनिया में ऑस्ट्रेलिया ऐसा देश है जो दूसरे सभी देशों की तुलना में सबसे ज्यादा CO2  का उत्पादन करते हैं. दूसरे देशों की तुलना प्रति व्यक्ति वहां दुगुना CO2 का उत्पादन होता है.

बिजली का उत्पादन कार्बन डाइऑक्साइड बनने का सबसे प्रमुख कारण होता है. सबसे अधिक बिजली का उत्पादन कोयले को जलाकर ही की जाती है जिससे बहुत अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न होता है.

इसके बाद गैसों को जलाने से सबसे अधिक CO2 बनता है. कुछ renewable energy के श्रोत जैसे solar, hydro और wind कार्बन नहीं बनाते हैं.

खेती करना – farming/Agriculture

इंसानी ज़िन्दगी के लिए खाने की व्यवस्था करना सबसे अहम्  होता है. हर इंसान किसी न किसी रूप में इन्ही पेड़ पौधों से अपने खाने का इंतज़ाम करता है.

कुछ जानवरों को जिन्हे इंसान खाते हैं वो भी पेड़ पौधों को खाकर ज़िंदा रहते हैं. खेती करने के लिए जंगलों से पेड़ पौधों को बहुत बड़े क्षेत्र में काट कर साफ़ कर दिया जाता है.

खेती लायक ज़मीन बनाने के लिए  लोग जंगलों में आग तक लगा देते हैं ताकि ज़मीन पूरी तरह से साफ़ हो सके. हम सभी जानते हैं की जंगल की आग काफी भयानक साबित होती है और पर्यावरण को काफी नुक्सान होता है साथ ही इस आग से काफी अधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड भी निकलती है.

पृथ्वी के हर हिस्से में आबादी है. लोगों को खेती करना ही पड़ता है ताकि अपने खाद्य पदार्थों की आपूर्ति के लिए अनाज जैसे गेहूं, चावल और मक्का  इत्यादि उगा सके.

लेकिन लोग एक बार भी नहीं सोचते की संतुलन बनाये रखना भी जरुरी है. जंगलों को यूँही जला देना कितना नुकसानदेह है इसका अंदाज़ा भी नहीं लगा पाते.

जब किसी पौधे को हटाया या जलाया जाता है तो उसमे जो कार्बन होती है वो पर्यावरण में CO2 के रूप में रिलीज़ हो जाती है जो ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देती है.

ग्लोबल वार्मिंग में बनने वाले ग्रीन हाउस गैस के 1/5th हिस्सा जंगल की कटाई (Deforestation) के कारण ही बनती है.

जंगलों की सफाई – Deforestation

पेड़ पौधे हमारे वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड को absorb कर लेते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं. हम सभी ये बचपन से स्कूल के समय से पढ़ते आते हैं. ये वातावरण के संतुलन को बनाये रखते हैं. इसीलिए पेड़ पौधे इंसानी जीवन के लिए सबसे valuable होते हैं.

हम इंसान अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए जंगलों की सफाई करते हैं भले वो खेती करने के लिए हो या  लकड़ियों को काटकर बेचने के लिए, शहर बसाने के लिए हो या फिर उद्योग लगाने के लिए.

हर सूरत में पेड़ों की कटाई ग्लोबल वार्मिंग को को न्योता देती है. इतनी भारी संख्या में पेड़ों के काटने से कार्बन डाइऑक्साइड जो पेड़ absorb करते हैं और ऑक्सीजन बदले में पर्यावरण में छोड़ते हैं उसका अनुपात में काफी अंतर होता जा रहा है.

अब कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ता जा रहा है और ऑक्सीजन कम होता जा रहा है जिससे ये ग्रीनहाउस गैस प्रदुषण हमारे वातावरण में बड़ी ही तेज़ी से फ़ैल रहे हैं.

जब इन्ही पेड़ पौधों को जलाया जाता है तो इससे भी खूब सारा कार्बन डाइऑक्साइड निकलता है. इस तरह से पेड़ पौधों के कटाई से लेकर इनके जलने तक हम और कुछ नहीं बस ग्लोबल वार्मिंग को खुद ही दावत देकर बुलाते रहे हैं.

औद्योगिक क्रांति – Industrial Revolution

आज सभी लोग नौकरी करने के लिए खूब पढाई और मेहनत करते हैं लेकिन दुनिया की आबादी इतनी ज्यादा है और हर कोई जॉब करे ये मुमकिन नहीं है. फिर भी products का उत्पादन करने वाली कंपनियों की कमी नहीं है.

आज हर वस्तु को बनाने के लिए कई कंपनियां बानी हुई हैं. एक ही प्रोडक्ट को बनाने के लिए कई कंपनियों के बीच काफी कड़ा competetion होता है. इस तरह ये कंपनियां ऐसे उत्पादों को बनाने में काफी ऊर्जा की खपत करते हैं और साथ ही ये CO2 भी उत्पन्न करते हैं.

आज तो ऐसे बिजली उत्पादन कंपनियां है जिनकी चिमनियों से लगतार CO2 और दूसरी जहरीली गैसों का उत्पादन होता रहता है.

इसके अलावा कुछ ऐसे पदार्थ भी बनाये जाते हैं जिनके उत्पादन के वक़्त ग्रीन हाउस गैसों उत्सर्जन होता है. जिस कारण भी ग्रीन हाउस गैसों का निर्माण होता है वो सभी ग्लोबल वार्मिंग का एक कारण हैं.

यातायात प्रदुषण – Vehicles Gas Emmission

ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में बहुत संख्या में वाहनों का निर्माण किया जाने लगा है. ये 2 wheelers और 4 wheelers गाड़ियां आज हमे सड़कों में दौड़ती हुई नज़र आती हैं.

सड़कों पर दिनभर इन गाड़ियों से धुंआ निकलता है जो  पर्यावरण में भारी मात्रा में प्रदुषण फैलाते हैं. यातायात के साधनो की संख्या दिनबदिन बढ़ती जा रही है लोगों के बीच होड़ लगी रहती है नयी नयी गाड़ियां खरीदने की.

इस तरह मानव जीवन में आज कहीं भी जाना हो गाड़ियों का ही इस्तेमाल करते हैं जो या तो पेट्रोल से चलते हैं या फिर डीज़ल से. इस तरह दिनभर फैलने वाले पर्यावरण के प्रदुषण का कारण हम खुद हैं जो इन गाड़ियों का इतना अधिकता से इस्तेमाल करने लगे हैं.

ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव – Effects of Global warming in Hindi

ग्रीनहाउस प्रभाव से उत्पन्न ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हमारे गृह में काफी बुरे परिणाम देखने को मिलने शुरू हो चुके हैं.पिछले कुछ दशक से हमारे पृथ्वी का तापमान 1डिग्री सेल्सियस बढ़ चूका है जब से इंडस्ट्रीज का विस्तार हुआ है.

भले ये देखने में बहुत काम और मामूली आंकड़ा लगता  है लेकिन तापमान का छोटा बदलाव भी जलवायु में काफी बड़े बदलाव का कारण बन जाता है.

क्यों पृथ्वी के 1 डिग्री तापमान को बढ़ने के एक नहीं बल्कि बहुत से कारण है और इसके लिए बहुत इस छोटे से तापमान के आंकड़े को बढ़ाने में काफी ज्यादा एनर्जी का हाथ होता है. ये एनर्जी ही ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ने में मदद करते हैं.

तो चलिए अब देख लेते हैं की आखिर ग्लोबल वार्मिंग से पृथ्वी पर कैसे कैसे प्रभाव पद सकते हैं या पड़ने शुरू हो चुके हैं जिन्हे हम अभी से महसूस कर सकते हैं.

समद्र सतह का बढ़ना – Rising Ocean Level

पृथ्वी की गर्मी लगातार बढ़ती जा रही है. इससे glaciars पर जमी बर्फ भी पिघलने लगी है. बर्फ के पिघलने से ये जाकर समुद्र में मिल रही है और इसकी volume को बढ़ा रही है.

इस तरह ये समुद्र के level को बढ़ाता जा रहा है. जिससे समुद्र सतह से थोड़े निचे level के islands और शहरों के डूबने का खतरा बनता हैं.

दिनों का गर्म होना – Hot Days

हम जो दिनचर्या अपने काम पर जाते हैं और काम करते हुए अपना वक़्त बीतते हैं तो इस बारे में भी आपसे में बात करते हुए पाए जाते हैं की आज बहुत गर्मी है. इसका कारण यही है की ग्लोबल वार्मिंग ने पृथ्वी को लगातार इतना गर्म कर दिया है की दिन गर्म होते जा रहे हैं.

मौसमों में भरी बदलाव – Major changes on weather

ग्रीनहाउस प्रभाव की वजह से हम जो मौसम का चक्र देखते थे पहले वो आज बिलकुल संतुलन से बाहर निकल चूका है.

पहले लोग जब खेती करने के लिए फसल लगते थे तो उन्हें बारिश सही समय में मिल जाती थी और इस तरह खेती भी अच्छी हो जाती थी. लेकिन आज मौसम का कोई ठिकाना नहीं रहा.

जब बारिश का मौसम आता है उस वक़्त भयंकर गर्मी होती है और जाड़े के मौसम में मूसलाधार बारिश होती है या किसी साल तो बिलकुल भी बारिश नहीं होती दिखाई देती.

खेती में परेशानी – Problems in Farming

मौसम में होने वाले बदलाव की वजह से अब किसान अपना पेशा बदलने लगे हैं. कई ने तो मौसम की मार के आगे घुटने तक दिए हैं.

हम अक्सर समाचार में देखते हैं की हर साल कई किसान फसल न होने से आत्महत्या कर लेते हैं. ऐसे किसानों के खेती छोड़ देने से और बारिश के समय में ना होने से होने वाली खेती में कमी होती जा रही है.

फसल कम होने से खाने की आपूर्ति भी मुश्किल होती चली जायेगी.

मनुष्य का स्वास्थ्य ख़राब होना – Health issue to humans

पृथ्वी के गर्म होने से इंसानो को heat waves का सामना करना पद सकता है. जो बुखार और मौत तक का कारण बन सकती है. खासकर जो बूढ़े होते हैं उन्हें इसका सबसे अधिक खतरा होता है.

अधिक तापमान और humidity की वजह से मच्छरों के पनपने की सम्भावना बढ़ जाती है इससे मच्छरों से जुडी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है.

संक्षेप में

ग्लोबल वार्मिंग हमारे जीवन को काफी प्रभावित कर रहा है. साथ ही पूरी दुनिया में इसके लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है.

आज के इस पोस्ट में हमने जाना की ग्लोबल वार्मिंग क्या है (What is global warming in hindi). आपको ये पोस्ट कैसी लगी हमे कमेंट कर के जरूर बताएं. वैसे हर किसी को इसके बारे में जानकारी होनी चाहिए और एक पेड़ काटना कितना बड़ा नुक्सान है पूरी दुनिया के लिए ये समझना चाहिए.

इंसान की जिंदगी किस तरह पर्यावरण पर निर्भर है और जलवायु का संतुलन बनाये रखने के लिए पेड़ पौधों की क्या भूमिका है.

मैं उम्मीद करता हूँ की आपको ये पोस्ट meaning of global warming in hindi language समझ में आ गई होगी और पसंद भी आयी होगी.

इस पोस्ट के माध्यम से हमने जाना की ग्लोबल वार्मिंग क्या होता है और इसके कारण क्या हैं. साथ ही ये भी जाना की ग्लोबल वार्मिंग के क्या प्रभाव होते हैं.

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Wasim Akram

वसीम अकरम WTechni के मुख्य लेखक और संस्थापक हैं. इन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है लेकिन इन्हें ब्लॉगिंग और कैरियर एवं जॉब से जुड़े लेख लिखना काफी पसंद है.

21 thoughts on “ग्लोबल वार्मिंग क्या है और इसके कारण?”

  1. Aaj maine global warming ke bare me jana (aaj mujhe samajh aay ki global warming kya hai aur ham chahte hai hamara country hare bhare rahe aur jalvayu bhi normal rahe iske liye mai trees lagane ki try karunga )) undarstand for thanks

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  2. Mai is post se kafi kuchh sikha hun
    Mai v trees lgaunga our dusro ko v lagane ke liye prerit karunga
    Our India ko global bouming se bachaunga
    Thanks..

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