CRP का फुल फॉर्म क्या है – What is the full form of CRP in Hindi?

दुनिया में अनेक शब्द है जिसके बारे में लोगों को कुछ भी नहीं पता होता है लेकिन कुछ ऐसे शब्द है जिसके बारे में ये जानना काफी जरुरी है की CRP का फुल फॉर्म क्या है ( CRP Full Form). अगर आप नहीं जानते की इस शब्द का हिंदी में पूरा नाम क्या है और इसका क्या अर्थ है तो इस आर्टिकल को अंत तक इसे जरूर पढ़ें.

इस आर्टिकल के माध्यम से हम जिस शब्द की जानकरी शेयर कर रहे हैं वो एक हेल्थ से जुड़ा शब्द है. शरीर में कई प्रकार के तत्व होते हैं जिनका शरीर में संतुलन बना रहना जरुरी है और का संतुलन बिगड़ता है तो शरीर में इसके लक्षण दिखाई देता हैं और जिसे हम टेस्ट के माध्यम से जानते हैं. तो चलिए अब जान लेते हैं की CRP का पूरा नाम क्या है?

CRP Full Form – CRP का पूरा नाम क्या है?

CRP का फुल फॉर्म “C-reactive Protein” होता है. इसे हिंदी में सी-“रिएक्टिव प्रोटीन”कहते हैं.

सी-रिएक्टिव प्रोटीन का परीक्षण एक प्रकार का रक्त परीक्षण होता है. जिससे शरीर में तीव्र सूजन या संक्रमण की जांच करने के लिए  इस्तेमाल में लाया जाता है.

इसका प्रमुख कार्य रक्त में सी-रिएक्टिव प्रोटीन नामक प्रोटीन के स्तर को मापना होता है.

जब कुछ परिस्थितियां सूजन का कारण बन जाती है तो इससे यह पता चलता है कि शरीर में सीआरपी का स्तर बढ़ गया है. संक्रमण होने पर भी यह बढ़ा हुआ होता है.

सूजन संबंधी बीमारियों के निगरानी एवं निदान करने के लिए भी इस परीक्षण का प्रयोग किया जाता है. इससे यह भी जांचा जा सकता है कि एंटीबायोटिक्स की आवश्यकता संक्रमण की स्थिति में है या नहीं है.

इसका परीक्षण दो प्रकार से किया जा सकता है:-

पहला परीक्षण रक्त संग्रह केंद्र में किया जा सकता है,एवं दूसरे परीक्षण में “पॉइंट ऑफ केयर ” यानी कि डॉक्टर द्वारा उंगली से चुभने वाले रक्त के नमूने का इस्तेमाल करके किया जा सकता है.

CRP टेस्ट क्या हैं – What is CRP test in Hindi?

जब किसी व्यक्ति को ऑटोइम्यून बीमारियां हो जाती है तो यह सूजन का कारण बन जाती है जैसे:- सूजन आंत्र रोग( जैसे अल्सरेटिव कोलाइटिस या क्रोहन रोग), गठिया या फिर निमोनिया जैसे संक्रमण इत्यादि होने पर इसका स्तर बढ़ जाता है. इसके द्वारा रक्त में सी-रिएक्टिव प्रोटीन नामक प्रोटीन के स्तर को मापा जाता है.

आमतौर पर किसी भी एक“स्वस्थ” व्यक्ति में 5 मिलीग्राम प्रति एल से कम सिरम सीआरपी स्तर होता है. जब तक क्षतिग्रस्त हो जाता है तो उसके 4 से 8 घंटे बाद यह बढ़ना शुरू हो जाता है एवं 24 से 72 घंटों के अंतराल पर यह चरम सीमा तक पहुंच जाता है. फिर उसके बाद 2 से 3 दिनों के पश्चात यह सामान्य हो जाता है. संक्रमण या सूजन होना बंद हो जाता है.

सीआरपी टेस्ट किस स्थिति में किया जाता है?

इसका टेस्ट प्रायः सूजन या संक्रमण की स्थिति में किया जाता है:-

1. सुजन

किसी भी व्यक्ति के शरीर में इस परीक्षण का प्रयोग सूजन की जांच करने के लिए किया जा सकता है. जब डॉक्टर को संदेह होता है कि व्यक्ति को सूजन संबंधी विकार है, जैसे इसका कारण नहीं पता चलता है एवं यह कहां स्थित है. ऐसी परिस्थितियों में अनुरोध किया जाता है.

निदान – गठिया, ऑटोइम्यून विकार एवं सूजन आंत्र रोग जैसे सूजन की स्थिति का पता इस जांच के माध्यम से किया जाता है.

निगरानी- जब किसी भी व्यक्ति का सूजन संबंधी विकार का निदान किया जाता है तो रोगी की लगातार निगरानी करनी पड़ती है और देखना पड़ता है कि ठीक तरह से उपचार हो रहा है या नहीं. जब अच्छे से उपचार किया जाता है तो उसका सूजन कम हो जाता है एवं सीआरपी का स्तर रक्त में गिर जाता है.

2. संक्रमण

किसी भी व्यक्ति के वायु मार्ग( ऊपरी श्वसन पथ) या सीने में संक्रमण के लक्षण निम्न है:-

सूखी खांसी,छींकना,गले में खराश एवं नाक बहना इत्यादि.

डॉक्टर द्वारा सीआरपी का परीक्षण इसलिए कराया जाता है ताकि इससे यह पता चल सके की एंटीबायोटिक्स लिखनी है या नहीं.

ऐसा इसलिए क्योंकि वायरस के कारण होने वाले संक्रमण में सीआरपी की अधिक वृद्धि होती है, जबकि बैक्टीरिया के कारण होने वाले संक्रमण की स्थिति में इसकी तुलना में कम वृद्धि होती है. 

एंटीबायोटिक्स तब प्रभावी होते हैं जब संक्रमण बैक्टीरिया के कारण होते हैं. लेकिन जब संक्रमण वायरस के कारण होते हैं तो यह उसके खिलाफ प्रभावी नहीं होते हैं.

जब किसी व्यक्ति का सीआरपी का स्तर 10 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम होता है तो इससे यह पता चलता है कि व्यक्ति को कोई जीवाणु संक्रमण नहीं है.

ऐसी स्थिति में एंटीबायोटिक्स के लिए एक नुस्खे से अच्छे से ज्यादा नुकसान होने की संभावना अधिक होती है. क्योंकि एंटीबायोटिक्स दवा से किसी भी नैदानिक लाभ से अधिक संभावित दुष्प्रभाव हो सकते हैं.

टेस्ट की तैयारी करने के लिए क्या करें?

इसे दिन में कभी भी किसी भी समय पर किया जा सकता है.

आमतौर पर किसी भी स्थानीय रक्त संग्रह केंद्र में  इसकी नियमित परीक्षण किया जाता है. जांच करने के लिए ऊपरी भुजा को चारों तरफ से एक इलास्टिक बैंड से मजबूती से लपेटा जाता है, जो नीचे की नसों का विस्तार करने में मदद करता है. ऐसा करने के पश्चात रक्त निकालना आसान हो जाता है.

रक्त निकालने के लिए नस में इंजेक्शन साइट को सुई डालने से पहले अल्कोहल स्वैब से साफ किया जाता है. तत्पश्चात रक्त के नमूने को एक ट्यूब में एकत्र किया जाता है, जिसे प्रयोगशाला में विश्लेषण के लिए भेजा जाता है.

पॉइंट – ऑफ केयर सीआरपी टेस्ट

कुछ परिस्थितियों में डॉक्टर द्वारा सर्जरी में इसका परीक्षण किया जा सकता है, जिसे प्वाइंट आफ केयर सीआरपी टेस्ट कहा जाता है.

परिणाम –

शायद ही इस परीक्षण द्वारा निदान प्रदान किया जा सकता है, लेकिन संक्रमण या सूजन की पुष्टि इसके द्वारा किया जा सकता है.

तीव्र सूजन या संक्रमण का संकेत, रक्त में सीआरपी की बढ़ती स्तर या उच्च मात्रा ही दे सकती है. इसका स्तर निम्न होने पर सूजन या संक्रमण भी कम हो  जाता है.

निष्कर्ष

शरीर में विभिन्न प्रकार के बिमारियों के लिए विभिन्न लक्षण दिखाई देते हैं. कई लक्षण ऐसे होते हैं जो बहुत सारे समस्याओं में एक समान होते हैं जिसे टेस्ट के माध्यम से पता लगाया जाता है.

आज हमने यहाँ पर चर्चा की CRP का फुल फॉर्म क्या है (What is thefull form of CRP in Hindi). ये भी बताया की इस शब्द का हिंदी में पूरा नाम क्या है. अगर आपको ये आर्टिकल अच्छी लगी हो तो इसे दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें.

Wasim Akram

वसीम अकरम WTechni के मुख्य लेखक और संस्थापक हैं. इन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है लेकिन इन्हें ब्लॉगिंग और कैरियर एवं जॉब से जुड़े लेख लिखना काफी पसंद है.

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